The warning:-
पिछले हफ्ते रविवार की रात को मैं खाना खाकर जल्दी सो गया ताकि अगली सुबह जल्दी उठ सकूं और समय से इंटरव्यू के लिए जा सकूं। उस रात मेरी WhatsApp और Facebook रानी को मेरे बगैर रहना पड़ा होगा।
अगली सुबह मेरी नींद अलार्म के शोर से खुली जिसे शायद मैं सातवीं बार बंद कर चुका था आखिरकार जब मेरी आंखें खुली तो 7:00 बज चुके थे और सूरज की वह पहली किरण खिड़की से होते हुए मेरी आंखों पर गिर रही थी। मैं फिर से लेट उठ रहा था मैं फटाफट बिस्तर से उठा और नहाने चला गया और नाश्ते की जगह दही-चीनी खाकर इंटरव्यू के लिए अपने कमरे से निकला।
अब तक 7:40 हो चुके थे और मैंने जल्दी से ऑटो पकड़ा और मेट्रो स्टेशन पहुंच गया उस दिन वह मेट्रो स्टेशन भी अजीब लग रहा था ऐसा लग रहा था शायद पहली बार स्टेशन आ रहा हूं कुछ देर बाद मुझे स्टेशन पर एक कस्तूरी सी सुगंध महसूस हुई जो मुझे अपनी तरफ खींच रही थी लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा था वह सुगंध कहां से आ रही है मैंने सुगंध का पीछा करना शुरू किया शायद वह सुगंध सामने लाल सूट में खड़ी उस लड़की से आ रही थी जिसका चेहरा भी शायद मुझे ठीक से नहीं दिख रहा था।
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हम दोनो टोकन लेने के लिए लाइन पर खड़े थे पता नहीं क्यों बार-बार उसकी कस्तूरी जैसी सुगंध मुझे अपनी ओर खींच रही थी। मैडम का नंबर मुझसे एक पहले था उन्होंने अपना लास्ट स्टेशन डाला जहाँ उनको जाना था जो कि मुझसे दो स्टेशन पहले था लेकिन तभी मैडम के हाथ से पर्स गिर गया जिस वजह से मेरी नजरों का उनकी नजरों से पहली बार संपर्क हुआ। उसकी गहरी और काली आंखे देककर मन था कि उन आंखों की अनंत गहराई में समा जाऊं मैंने जल्दी से अपना टिकट निकाला और फिर से अपनी नजरों को काम पर लगा दिया ताकि मैं मैडम को फिर से ढूंढ सकूं । अंततः मैंने उसे ढूंढ लिया मेट्रो भी आ गई थी वो मेरी ठीक सामने वाली सीट पर बैठ गयी और मेरी नजरें उसे एकटक होकर देख रही थी शायद यह बात अब तक उसने भी नोटिस कर ली होगी क्योंकि उसकी पलकें शायद उठ-उठ कर मुझे ही देख रही थी मैंने समय देखा 9:40 हो चुका था और उस मोहतरमा के उतरने का भी समय हो चुका था लेकिन जब वह उतरी तो अपना रुमाल उसी सीट पर भूल गई। मेरे इंटरव्यू में अभी 20 मिनट का वक्त बचा था मैं बिना देर किए अपनी सीट से उठा और वह रुमाल लेकर मेट्रो से उतर गया और उतरते ही उसको तलाशने लगा लेकिन वह कस्तूरी सी सुगंध अब खत्म हो चुकी थी मैंने पूरा स्टेशन मैं उसे 10-15 मिनट तक ढूंढा लेकिन वो नहीं मिली मैं थोड़ा सा उदास था मैं दौड़ दौड़ कर फिर से प्लेटफार्म में गया नई मेट्रो पकड़ी और और अपने इंटरव्यू के लिए निकला लेकिन अब तक देर हो चुकी थी । जब मैं उतरा तब तक 10:15 हो चुके थे और इंटरव्यू वाली जगह का गेट बंद हो चुका था। मेरी आंखों में एक नमी सी थी लेकिन दिल में एक इच्छा थी जो उस कस्तूरी सी सुगंध को फिर से महसूस करना चाहती थी मैं हाथ में रुमाल पकड़े लौट ही रहा था। तभी जोर का अलार्म बजा मेरी नींद खुली मेरे आस-पास सब ठीक था और घड़ी 5:20 का वक्त दिखा रही थी मैं समझ गया वह सपना था जो शायद आने वाले खतरों से सचेत होने का संकेत दे रहा था।
धन्यवाद
Mahavir
(-silent writer)
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