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phla phla pyar short hindi love story

Phla phla pyar:- \ #love story आज मैं 7:00 बजे ही ऑफिस से जल्दी घर आ गया बाहर बारिश का मौसम था रोज की तरह मैं अपने कमरे की अलमारी की तरफ बड़ा जहां मैंने पूजा से छिपाकर वोडका की बोतल रखी है मैंने उसमें से एक पैग बनाई और जल्दी से वहीं बैठकर  घट घट पी गया । फिर एक नई पैग बनाई उसमें थोड़ा सा सोडा ज्यादा मिलाया और उसे लेकर बाहर बालकनी की तरफ गया तभी मुझे याद आया कि मैं अपना लाइटर बैडरूम के तकिये के नीचे ही भूल आया हूं उसे लाने मुझे वापस जाना पड़ा । मैं बारिश के मौसम का मज़ा लेने के लिए अपने बेजान से पैरों को टेबल के सहारे सटा कर बैैैठ गया लाइट जा चुकी थी और मैं आसमान से चमक रही बिजली की धुन में मस्त था मैंने अपनी सिगरेट जलाई और उसे दाएं हाथ में रखा बाए हाथ से अपनी पैग उठाकर मैंने उसे अपने होटों से लगाया उसके बाद जलती हुई सिगरेट से एक कस अपने अंदर खींच ली और उस धुएं से छल्ले बनाकर उडाने लगा। मैंने उड़ रहे एक छल्ले को ध्यान से देखा  जिसने मुझे मेरे बचपन की आठवीं कक्षा की सेकंड लास्ट बेंच पर पटक दिया जहां मेरी गिनती कक्षा के महा बकैत लड़कों में होती थी। उस दिन मैं अपनी बेंच प

The Warning short hindi story

The warning:- पिछले हफ्ते रविवार की रात को मैं खाना खाकर जल्दी सो गया ताकि अगली सुबह जल्दी उठ सकूं और समय से इंटरव्यू के लिए जा सकूं। उस रात मेरी WhatsApp और Facebook रानी को मेरे बगैर रहना पड़ा होगा।  अगली सुबह मेरी नींद अलार्म के शोर से खुली जिसे शायद मैं सातवीं बार बंद कर चुका था आखिरकार जब मेरी आंखें खुली तो 7:00 बज चुके थे और सूरज की वह पहली किरण खिड़की से होते हुए मेरी आंखों पर गिर रही थी। मैं फिर से लेट उठ  रहा था मैं फटाफट बिस्तर से उठा और नहाने चला गया और नाश्ते की जगह दही-चीनी खाकर इंटरव्यू के लिए  अपने कमरे से निकला। अब तक 7:40 हो चुके थे और मैंने जल्दी से ऑटो पकड़ा और मेट्रो स्टेशन पहुंच गया उस दिन वह मेट्रो स्टेशन भी अजीब लग रहा था ऐसा लग रहा था शायद पहली बार स्टेशन आ रहा हूं कुछ देर बाद मुझे स्टेशन पर एक कस्तूरी सी सुगंध महसूस हुई जो मुझे अपनी तरफ खींच रही थी लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा था वह सुगंध कहां से आ रही है मैंने सुगंध  का पीछा करना शुरू किया शायद वह सुगंध सामने लाल सूट में खड़ी उस लड़की से आ रही थी जिसका  चेहरा भी शायद मुझे ठीक से नहीं दिख  रहा था। hi

Guru govind singh motivational story गुरु गोविंद सिंह

गुरु गोविंद सिंह- भारत माता सदा से ही महात्माओं व साहसी लोगो की जननी रही है यहाँ समय समय पर ऐसे-ऐसे महान योद्धा तैयार हुए हैं जो साधारण होकर भी असाधारण कार्य के लिये जाने जाते है उन्ही लोगो मे से एक महान लीडर हैं गुरुदेव गुरु गोविंद सिंह। जन्म- इनका जन्म 22 दिसम्बर को बिहार के पटना मे हुआ था । महान लीडर- ये इतने महान लीडर थे कि तत्कालीन तानाशाह  औरंगजेब भी इनसे डरा डरा रहता था। औरंगजेब ने इनके पीछे अपने सेनापति और उसके साथ 10 लाख की सेना गुरुजी को ढूढ़ने के लिए लगा दी उस समय औरंगजेब का लगभग पूरे भारत मे कब्जा था उसका बस एक ही मकसद था  कि सिख गुरु को कैसे भी अपने पैर पर झुका दू। उसने 10 लाख की सेना गुरुदेव के पीछे पीछे लगा दी तभी लड़ा गया चमकौर का युद्ध एक पहाड़ी मे ये 40 सिख थे और पहाड़ी के नीचे घेरे हुए थी 10 लाख की सेना तभी गुरुदेव जी ने हौसला बढ़ाने के लिए बहुत ही प्रसिद्ध नारा दिया जो युगों तक सिख समुदाय मे  अमर रहेगा- चिड़या दे नाल बांज लडाऊं गीदड़ नु मे शेर बनाऊ सवा लाख दा एक लडाऊं ता गोविंद सिंह नाम कहाऊ guru govind singh great sikh leader इनक

what is spirituality अध्यात्म क्या है? aadyatm kya hai? in hindi

what is spirituality अध्यात्म क्या है? aadyatm kya hai? in hindi what is spirituality  what is spirituality अध्यात्म क्या है? aadyatm kya hai? in hindi what is spirituality अध्यात्म क्या है?  aadyatm kya hai?  अगर हम अपनी आज की जिंदगी में नजर दौड़ाए तो हमें मालूम पड़ेगा कि हम भौतिक सुख सुविधाओंं की प्राप्ति के लिए लगे रहते हैं इन सांसारिक सुविधाओं को आध्यात्म की भाषा में पदार्थ कहते हैं । what is spirituality अध्यात्म क्या है? aadyatm kya hai? in hindi हम सभी इसी पदार्थ की प्राप्ति के लिए भाग दौड़ में लगे रहते हैं तथा इसी पदार्थ के लिए सामाजिकता और नैतिकता की सीमा का हनन कर देते हैं।यह एक चिंतनीय विषय है ।आजकल हम समाचार पत्र  में रोज  चोरी ,लूट ,हिंसा व बलात्कार जैसी घटनाओं के विषय में पढ़ते हैं चिंतन करने का विषय यह है कि आखिर हमें ऐसी खबरें पढ़ने को क्यों मिलती हैं इसका एक मात्र उत्तर यही है कि समूची  मानव जाति भौतिक पदार्थों  की प्राप्ति में लिप्त है । ये भौतिक सुख सुविधा एक व्यक्ति को क्षणिक आनंद तो दे सकते हैं लेकिन जीवन पर्यंत आनंद नहीं दे सकते यही कारण है कि मनुष्य

The Unimaginable Power( अकल्पनीय शक्ति) power of maditation

The Unimaginable Power( अकल्पनीय शक्ति) The Unimaginable Power( अकल्पनीय शक्ति) power of maditation हमारा दिमाग एक बायलॉजीकल सिस्टम है इसके अंदर हमेशा कुछ न कुछ चलता ही रहता है शायद  आपको पता नहीं होगा कि हमारे दिमाग के   पास अपरिमित अलौकिक व असीमित शक्तियों का भंडार है लेकिन इस दुनिया में कुछ ही ऐसे लोग होते हैं जो इन  अलौकिक व असीमित शक्तियों का प्रयोग कर पाते हैं दरअसल यह शक्तियां हमारे अंर्तमन में सोई हुई है जिन्हें हमें जागृत करना पड़ता है इन जो व्यक्ति इन शक्तियों को जगाने  में सफल होता है उसके पास यह अलौकिक शक्तियां आ जाती हैं और उसे हम जिंदगी में सफल व्यक्ति मानते हैं। हमारा दिमाग एक दिन में विभिन्न स्थितियों से  गुजरता है इन विभिन्न स्थितियों को हम 5 भागों में बांटते हैं- 1-गामा(¥) 2-डेल्टा(∆) 3-थीटा 4-अल्फा 5-बीटा डेल्टा स्तिथि में हम तब होते हैं जब हम नींद में होते हैं। थीटा स्थिति में हम तब होते हैं जो जब हम सो कर उठते हैं अर्थात  सोने कर तुरंत बाद जब हम उठते हैं तो उसके 5 मिनट के अंदर हमारा दिमाग थीटा  स्थिति में ही होता है अल्फा स्थिति वह स्थिति होती

Nai soch( नई सोच)

hindi poem  नई सोच जब ढक लिया अंधकार ने नभ को समा गए   थे    मेघ    नभ  में आभास हुआ था अमावस्या का लगा था न होगा अंत तम का                ऐसे में उत्पन्न हुआ था         उत्साह का एक नया सवेरा         नई किरण नए जोश से हम       निर्माण करने चलें स्वर्णिम भारत का प्रकृति इतनी धन्य हुई हम पर मस्तक पर हिमालय सजाया सागर से चरण धुलवाए और हृदय से गंगा बहाई                   शहीदों की चिताओं से इसकी नींव बनाई थी    बापू के अरमानों पर खड़ा किया था भारत      परंतु    इस ।   व्यर्थ । ।  स्वार्थ।   से     ढ़हने.  लगा है आज यह भारत । शहीदों की अस्थियां इतनी कमजोर तो नहीं थी बापू के अरमान इतने कमजोर तो नहीं थे ? तो क्या कारण हो सकता है इसका ? कहीं निर्माण में मिलावट तो शामिल  नहीं? न ही भारत की नींव कमजोर थी और ना ही इसके स्तंभ शायद भारत निर्माण के अभियंता ही हैं  उद्दंड               आओ मिलकर दंडित करें               ऐसे उद्दंड अभियंता को               जिन्होंने नींव को खोखला किया               मिलकर करें उनका अंत  आज हम मिलकर संकल्प लें  मजबूत भारत हम बनाएंगे

poem on dowry system(दहेज प्रथा)

देखकर उसकी व्याकुलता मेरे उर का हुआ उदय  देख कर उसकी अश्रुधारा  गा रहा है मेरा हृदय                                काली घटा छाई उस पर                    जाने ना किन पापों की                    बनी वह कलह का कलश                    अपने प्यारे कुटुंब की   देहली पर इस घर की आई  लक्ष्मी बनकर वह नई   नष्ट किया इस कलश ने सब भरे थे जिनमे सपने कहीं                  मां कह कर पुकारती जिसे                बनी है शत्रु आज उसकी                             नित्य प्रताड़ित करती है उसे                         मायाजाल में आज फसी देखकर  उसकी की व्याकुलता  बाप बेचारा है परेशान  जानी न व्यथा उसकी  इन सबसे था अनजान                         अपनी पुत्री के रोदन से                डर से सहमा उसका मन                 चिंतित है क्षण क्षण वह                कहां से प्राप्त हो इतना धन ससुर को भी कुछ न सुझा लगा मानवता को लजाने में  फिर दहक रही अग्नि  रसोई घर के कोने में                                  संकीर्ण मानसिकताएं हमारी